राष्‍ट्रीयहरियाणा

गुरुग्राम निगम में शहरी निकाय स्वामित्व योजना भ्रष्टाचार, जमीन नाम नहीं बेच दी किस्त- 4

सत्य ख़बर गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

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नगर निगम गुरुग्राम ने मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना में जो दुकान बेची हैं उनमें से अधिक संख्या में दुकानें प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड खसरा नम्बर 469 में है इसमें नगर निगम गुरुग्राम सोहना चौक पर करोड़ों रुपए खर्च करके पार्किंग का निर्माण कर रहा है, जबकि जिस जमीन पर पार्किंग बनाई जा रही है वह जमीन आज तक भी राजस्व रिकॉर्ड में नगर निगम के नाम नहीं है, वहीं इसी खसरे में नगर निगम ने शहरी निकाय स्वामित्व योजनाओं में लोगों के नाम में कन्वेंस डिड करवा रहा है। जबकि हरियाणा में और जिलों में शहरी निकाय विभाग में प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड की दुकानों को अन्य डिपार्टमेंट लैंड की कैटेगरी में रखते हुए निर्णय लिए हैं। सदर बाजार गुड़गांव में आज यह हाल है जिन दुकानों ने वैघ तरीके से नगर निगम से दुकान ली हुई और उन्होंने दरखास्ते भी लगाई हुई है, तो भी उनकी दरखास्त विवादित बताकर उन्हें अभी तक भी नहीं दी है, जबकि जिन लोगों ने अधिकारियों की जेब गर्म कर रखी है वे अवैध रूप से मुख्य सड़क पर कब्जा कर पक्के निर्माण कर जमकर सरकारी रास्ते से चांदी कुट रहे हैं। वहीं सदर बाजार मुख्य रोड कि दिन प्रति दिन हालत ऐसी होती जा रही है, यदि भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी तो एक दिन सदर बाजार का मुख्य रास्ता जो अभी 40 -50 फुट से 20 -25 फुट रह रहा है, वह एक दिन सकरी गली में तब्दील हो जाएगा । इसमें ऐसा नहीं है की निगम अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है। इसके बारे में जागरूक शहर वासियों ने निगम अधिकारियों की बंद आंखें खोलने के लिए काफी आवाज़ भी उठाई है। यहां तक कि इसके लिए बहुत सारी आरटीआई भी लगी है, वहीं बहुत सारी अभी पेंडिंग चल रही हैं, लेकिन विभाग में बैठे वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्टाचार की पोल पट्टी जनता के सामने ना आ जाए इसके लिए सूचना देने की बजाय अपने ऊपर ₹25 हजार का जुर्माना लगवाना पसंद करते हैं अवैध कब्जों के बारे मैं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार काफी संख्या में अवैध कब्जों की सीएम विंडो शिकायत क्षेत्रीय कराधान अधिकारी स्तर पर वर्षों से पेंडिंग चली आ रही हैं। क्योंकि एक नगर निगम की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार नगर निगम के अधिकारियों ने बताया है कि सदर बाजार की जमीन के लिए 2009 में किए गए आकलन रेट करीब ₹5 लाख प्रति वर्ग गज का था। जो अब बढ़कर दुगना से भी ज्यादा हो गया है। जो कि करोड़ों के घपले की ओर इशारा करते हैं।

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